National Milk Day: Milk made these farmers millionaires
हरियाणा डेस्कः हरियाणा के जींद जिले के छोटे-से गांव बोहतवाला के बलजीत सिंह रेढु ने बचपन में सुना था कि कभी उनके इलाके में दूध की नदियां बहती थीं। किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले बलजीत को मालूम था कि ‘दूध की नदी’ का मतलब है, इलाके में कृषि आधारित संपन्नता थी। यही वजह है कि उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बावजूद अपने किसान भाई महेंद्र सिंह की तरह कृषि आधारित उद्योग शुरू करने का फैसला किया। बलजीत सिंह ने 1995 में मुर्गी पालन के लिए हैचरी कारोबार शुरू किया। लेकिन उनका लक्ष्य तो अपने इलाके में दूध की नदी बहाना था, सो उन्होंने 2006 में 10 मुर्रा भैंसों के साथ डेयरी का कारोबार शुरू किया। यही नहीं, वे आसपास के किसानों से भी दूध का कलेक्शन करने उसे ‘लक्ष्य’ ब्रांड के नाम से बेचने लगे। धीरे-धीरे उनका काम इतना फैलता चला गया कि 2010 में उन्होंने जींद में एक शानदार मिल्क प्लांट की स्थापना कर डाली। आज उनके डेयरी कारोबार का सालाना टर्नओवर करीब 150 करोड़ों में है। 51 वर्षीय बलजीत कहते हैं कि आज 14 हजार दूध उत्पादक हम से जुड़े हैं और हरियाणा में हमारे 120 बूथ हैं। उनके पास लगभग दो हजार गायें और भैंसें हैं। वे मध्य हरियाणा के बाहर भी अपनी पहुंच बढ़ाने की जुगत में हैं और मदर डेयरी को 25 हजार लीटर दूध सप्लाई कर रहे हैं।
हरिंदर सिंह : गंगानगर (राजस्थान) के डेयरी फार्म के मालिक
एक ओर जहां राज्य सरकारें दूध की पैदावार बढ़ाने के लिए किसानों को सब्सिडी देकर उन्हें प्रेरित कर रही हैं, वहीं विज्ञान और तकनीकी का सहारा लेकर उत्पादन बढ़ाने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। राजस्थान के गंगानगर के हरिंदर सिंह को आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल की ऐसी जिद है कि दूध दुहने से लेकर ग्राहक के बर्तन में पहुंचाने तक उसे हाथ नहीं लगाया जाता। सारा काम मशीनों के जरिए होता है। वे अच्छी नस्ल तैयार करने के लिए कृत्रिम गर्भाधान कराते हैं और गायों को गर्मी से बचाने के लिए इज्राएल से मंगाए छोटे फुहारे का इस्तेमाल करते हैं, जो अत्यधिक गर्मी के दिनों में भी शेड के तापमान को 15 डिग्री सेल्सियस तक कम कर देता है। उन्होंने उम्र और दूध की मात्रा के हिसाब से गायों के लिए अलग-अलग शेड बनवा रखे हैं, जो उनके आधुनिक पशु प्रबंधन की मिसाल है। उन्होंने अपने फार्म में गर्मी में अकसर होने वाली बिजली कटौती के समय दुधारू पशुओं को परेशानी से बचाने के लिए जनरेटर की भी व्यवस्था की है। इसके अलावा, आधुनिक डेयरी के इर्दगिर्द साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखा जाता है, ताकि मवेशियों की सेहत ठीक रहे।