The planning to make India an Islamic nation is going on at a very micro level.
धर्म डेस्कः कहते हैं बूंद बूंद से सागर भरता है... भारत में जिहाद इसी योजना पर चल रहा है... उत्तर प्रदेश की एटीएस ने अभी दो मौलानाओं को जबरन धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार किया है।जबरन धर्मांतरण के आरोपी इन मौलानाओं ने बताया कि वो अब तक एक हजार से ज्यादा लोगों को मुसलमान बना चुके हैं। लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि इन मौलानाओं ने अपना टारगेट किसको चुना... इन्होंने टारगेट किया... दिव्यांग बच्चों को... इन्होंने सबसे पहले ऐसे एनजीओ से संपर्क किया जो दिव्यांग बच्चों की देखभाल करते हैं फिर इन एनजीओ को मोटी रकम देने का लालच दिया... फंड की कोई दिक्कत नहीं थी क्योंकि फंड तो इनको आईएसआई से मिल ही रहा था... जैसा कि यूपी एटीएस ने बताया
एनजीओ फंड के लालच में आ गए... इसके बाद इन दिव्यांग बच्चों के मन में उनके मूल धर्म के प्रति घृणा का भाव भरा गया और फिर उन्हें कलमा पढ़वा दिया गया। मतलब सोचने वाली बात ये है कि हमने आपने कभी सोचा भी नहीं होगा कि किसी दिव्यांग बच्चे का भी इस्तेमाल मजरबी मकसद पूरा करने के लिए किया जा सकता है । आम तौर पर दिव्यांगों को देखकर हम दया करते हैं लेकिन दिव्यांगों को देखकर इन मौलनाओं के दिमाग में धर्मांतरण की बात आई ।
अब हम तो सोचते हैं बेचारा दिव्यांग है... लेकिन मौलानाओं ने सोचा कि एक दिव्यांग बच्चा भी एक वोट है... फिर जब ये बच्चे पैदा करेगा... तो वो भी पांच वोट होंगे... 50 साल बाद एक दिव्यांग बच्चा जो सिर्फ एक वोट था.... 50-60 वोटों का कुनबा तैयार हो जाएगा... एक एक वोट से सरकार बन जाती है... सरकार गिर जाती है... सोचिए ऐसे एक हजार बच्चे यानी 50 साल में 50 हजार वोट तैयार हो गए.... इसे कहते हैं माइक्रोलेवल की प्लानिंग
लव जिहाद भी माइक्रोलेवल की प्लानिंग का ही एक हिस्सा है.... एक लड़की हिंदू धर्म से कम हुई... तो अगर मान लीजिए वो लड़की 2 बच्चे भी पैदा करती है.... तो अगर वो हिंदू धर्म में होती तो तीन संख्या बढकर होती लेकिन जब वो मुस्लिम हुई तो मुसलमान आबादी में तीन संख्या बढ गई और हिंदू और मुसमलान की आबादी में गैप 6 का हो गया।
सिर्फ इतना ही नहीं एक दिन ग्वालियर से एक बुजुर्ग महिला का धार्मिक संघटन को फोन आया... उन्होंने बताया कि उनके परिचित में एक महिला विधवा हो गई तो उसके घर पर अचानक से कुछ मौलाना धमक पड़े और बोले की 5 लाख रुपए ले लो... आपको घऱ चलाने में कोई दिक्कत नहीं आनी चाहिए... इसके बाद उनको ये भी कहा गया कि जवान हो इतनी लंबी उम्र कैसे कटेगी शादी कर लो मुसलमान हो जाओ... शौहर भी मिल जाएगा और पैसे भी... वो महिला समझदार थी उसने मना कर दिया और बोला कि मेरा शरीर नोचने और हलाला करवाने के लिए नहीं है... दफा हो जाओ... लेकिन सोचिए किस जमीनी लेवल की प्लानिंग चल रही है।
एक बार मैं यूट्यूब पर एक इमाम का भाषण सुन रहा था... उस इमाम ने अपने मौलानाओं को कहा... अरे... करने के लिए तो बहुत कुछ है... जाओ... देखो... वृंदावन में कितनी महिलाएं विधवा आश्रमों में हैं... जाकर उनसे निकाह करो और दीन की खिदमत में बच्चे पैदा करो... फिर वही बात सोचिए कितनी माइक्रोलेवल की प्लानिंग चल रही है
और हमको मोटी मोटी बात भी समझ में नहीं आती है... अभी हिंदुओं से ये बताओ कि फलानी जगह राशन मिल रहा है, तो उनको तुरंत समझ में आ जाता है और झोला लेकर पहुंच जाते हैं लेकिन अभी उनको ये बता दो कि अरे यार वहां जरा विरोध के लिए चलना है.... कोई किसी को परेशान कर रहा है तो उनको बात ही समझ में नहीं आएगी... क्या हो गया... कहां हो गया... पचास सवाल पूछेंगे... जब तक कि आप उनकी जान ना छोड़ दो...
तो भैया... जाग जाओ.. अपने बच्चों की सूरत देखकर... उनके लिए सोचो.. कि तुम उनके लिए कैसा देश छोड़कर जा रहे हो... ये तुम्हारे बच्चे ही एक दिन बड़े होकर तुमको गरियाएंगे... जैसे आज हम नेहरू और गांधी को गरियाते हैं... तो सब लोग माइक्रोलेवल की प्लानिंग का जवाब देने के लिए खड़े हो.... सब इकट्ठा हो और अपने लक्ष्य की तरफ बढो.... निराश होने और बैठ जाने का वक्त नहीं है... संघर्ष करने का वक्त है ।