Acharya Rekha Kalpadev's answers to your questions about Diwali worship
दिवाली पर लक्ष्मी जी का पूजन किस धातु की प्रतिमाओं का करना चाहिए ?
ज्योतिष आचार्या रेखा कल्पदेव
नई दिल्लीः लक्ष्मी जी की प्रिय धातु चांदी और स्फटिक है। यदि इन धातुओं से निर्मित लक्ष्मी गणेश का पूजन दिवाली पर किया जाये तो सर्वश्रेष्ठ रहता है। किसी कारण वश यदि चांदी या स्फटिक धातु की प्रतिमा उपलब्ध न हो सके तो मिटटी से निर्मित लक्ष्मी गणेश का पूजन किया जा सकता है। धातु से निर्मित प्रतिमा का पूजन स्थायी रूप से किया जाता है, उन्हें प्रत्येक वर्ष बदला नहीं जाता है। मिट्टी की पुरानी प्रतिमाओं को प्रत्येक वर्ष दिवाली के अगले दिन बहते जल में प्रवाहित कर दिया जाता है और दिवाली पर नये लक्ष्मी गणेश जी की प्रतिमाओं को लाकर विधि-विधान से पूजन किया जाता है। मिट्टी की मूर्ति एक वर्ष में कोनों से खंडित हो जाती हैं और खंडित मूर्तियों का पूजन अशुभ माना गया है। इसलिए मिट्टी की प्रतिमाओं को प्रत्येक वर्ष बदल देना चाहिए। लक्ष्मी जी का पूजन चित्र में नहीं करना चाहिए, साथ ही उल्लू पर विराजमान प्रतिमा भी नहीं होना चाहिए। सोने या चांदी की मूर्ति का महत्व जिस घर में सोने या चांदी से निर्मित महालक्ष्मी की मूर्ति होती है वहां देवी लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है। भक्त को प्रतिदिन विधि-विधान से चांदी या सोने की मूर्ति का पूजन करना चाहिए। सोना सुख-समृद्धि का प्रतीक है, चांदी और स्फटिक महालक्ष्मी की प्रिय धातु मानी गई है। ऐसे में इनसे निर्मित मूर्ति की पूजा करने वाले को कभी भी दरिद्रता का सामना नहीं करना पड़ता है।
सोने-चांदी के बदले पीतल की मूर्ति भी कर सकते हैं स्थापित
महंगी होने के कारण अगर आप सोने या चांदी की मूर्ति घर नहीं ला सकते हैं तो पीतल की मूर्ति भी घर में स्थापित कर उसकी पूजा कर सकते हैं। मूर्तियों के लिए पीतल को भी काफी शुभ माना गया है। मंदिरों में भी पीतल की प्रतिमाएं ही स्थापित की जाती हैं।
लक्ष्मी जी की प्रतिमा लेते समय ध्यान रखने योग्य बातें-
धन की देवी लक्ष्मी जी की ऐसी प्रतिमा लें जो कमल के फूल पर विराजित हो और बैठी हुई मुद्रा में हों। इससे देवी का वास आपके घर में स्थायी रुप से रहेगा। देवी अपने वाहन कमल के फूल पर विराजित हो, ऐसी प्रतिमा लेना शुभ फलदायी। मूर्ति के हाथ में धन का कलश, कमल का फूल, शंख और एक हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में हो। ध्यान रखें कि घर के मंदिर में स्थापित की जाने वाली प्रतिमा का आकार अंगूठे से बड़ी ना हो। लक्ष्मी के साथ गणपति भी अवश्य हों और बायें में स्थित हो। घर के मंदिर में श्रीयंत्र की स्थापना करना भी श्रेयस्कर होगा।
दिवाली पूजन में गणेश जी की प्रतिमा कैसी होनी चाहिए?
श्रीगणेश और लक्ष्मी जी की प्रतिमाएं दोनों की अलग अलग लेनी चाहिए। एक साथ जुड़ी प्रतिमाएं सही नहीं मानी जाती। गणेश जी की बायीं ओर मुड़ी हुई और दो घुमाव वाली होनी चाहिए। ध्यान रखें कि एकदंत के हाथ में मोदक होना चाहिए। मूषक वाहन निकट होने चाहिए। पूजन घर की पूर्व दिशा या ईशान कोण (पूर्व-उत्तर का मध्य स्थान) में करना चाहिए।
भारत के प्रमुख शहरों में दीपावली पूजन का समय 27-10-2019
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शहर
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व्यावसायिक
स्थल में पूजन
का समय
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घर में पूजन
का समय
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साधना व
सिद्धिसमय
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कुम्भलग्न
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वृषभलग्न
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सिंहलग्न
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प्रारम्भ
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समाप्त
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प्रारम्भ
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समाप्त
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प्रारम्भ
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समाप्त
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दिल्ली 14:15 15:43 18:43 20:38 01:17 03:35
चेन्नई 13:46 15:27 18:55 20:57 01:12 03:25
कोलकाता 13:24 14:57 18:09 20:07 00:40 02:51
मुंबई 14:22 15:58 19:16 21:16 01:46 03:54
लखनऊ 13:58 15:28 18:31 20:28 01:05 03:20
पटना 13:40 15:10 18:16 20:13 00:49 03:03
भोपाल 14:08 15:41 18:51 20:49 01:23 03:35
देहरादून 14:14 15:40 18:36 20:31 01:12 03:31
अहमदाबाद 14:27 16:00 19:11 21:09 01:42 03:54
बैंगलूरू 13:56 15:38 19:06 21:08 01:33 03:36
रांची 13:37 15:09 18:19 20:17 00:51 03:03
गुवाहटी 13:14 14:44 17:49 19:46 00:22 02:37
रायपुर (छःग) 13:49 15:23 18:37 20:36 01:08 03:18
जयपुर 14:19 15:48 18:51 20:48 01:25 03:40
मथुरा 14:12 15:41 18:43 20:39 01:17 03:33
वाराणसी 13:48 15:19 18:26 20:23 00:58 03:12
अमृतसर 14:28 15:52 18:47 20:40 01:23 03:43
उज्जैन 14:14 15:47 18:58 20:56 01:29 03:41
भुवनेष्वर 13:31 15:07 18:22 20:22 00:53 03:02
जम्मू 14:30 15:53 18:45 20:38 01:21 03:43
काठमांडू 13:57 15:26 18:29 20:26 01:03 03:19