Youth Rocks Foundation Shows the Way to Live
एक महिला जो बदल रही हजारों युवाओं की जिंदगी
इंडिया न्यूज सेंटर,डेस्कः भौतिकवाद के इस दौर में मां-बाप की सबसे बड़ी चुनौती अपने बच्चों को लेकर रहती हैं । बच्चे के जन्म से लेकर उसके परिपक्व अवस्था में पहुंचने तक उसके कैरियर, परिवार व सामाजिक दायित्वों के निर्वहन को लेकर तमाम तरह की शंकाएं अभिभावकों को घेरे रहती हैं । आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में मां बाप जहां हर दिन जीवन के संसाधन जुटाने मैं इतने व्यस्त हैं कि बच्चों की मुकम्मल परवरिश पेशेवर हाथों में सौंप चुके हैं । जहां पर एक अच्छा डॉक्टर ,वकील अथवा इंजीनियर आदि बनने का माहौल तो मिल जाता है पर उच्च संस्कार , धर्म व आदर्श समाजिकता के तत्व बच्चे पूरी तरह से ग्रहण नहीं कर पाते। एक ऐसे समाज में जहां युवक का एकमात्र उद्देश्य अपना कैरियर बनाना हो या फिर अच्छी नौकरी तक ही सीमित हो ऐसे व्यक्ति से परिवार व समाज को कुछ खास हासिल नहीं होने वाला । पुराने समय में जब संयुक्त परिवारों का चलन था उस दौर के परिवारिक वातावरण में बच्चे परिवार के हर सदस्य से कुछ ना कुछ सीख लेते थे । अपनी संस्कृति , संस्कार , धार्मिक व सामाजिक ज्ञान घर की चहारदीवारी में ही सुलभता से मिल जाती थीं। आधुनिकता के इस दौर में जहां एकल परिवारों का चलन है । ऐसे वातावरण में बच्चों को पैसों के दम पर किताबी ज्ञान तो सुलभता से मिल जाता है परंतु एक आदर्श संतान व नागरिक बनने के अन्य तत्व पूरी तरह से नहीं मिल पाते । ऐसे में युवा अक्सर अपने भविष्य को लेकर भ्रमित रहा करते हैं । और कुछ तो कुमार्ग का रास्ता अख्तियार कर लेते हैं । यह समस्या किसी एक परिवार या समाज की नहीं है । यह परेशानी पूरे सामाजिक ताने-बाने पर अपना कुप्रभाव छोड़ रही है । इसी कुप्रभाव से निजात देने के लिए पिछले 10 वर्षों से एक महिला अपनी सामाजिक संस्था यूथ रॉक फाउंडेशन के जरिए लगातार कार्य करती आ रही है । एक साधारण महिला की सोच व अगुवाई ने इस संस्था के काम की छाप दून से लेकर दिल्ली तक नजर आ रही है । यह साधारण महिला डॉक्टर दिव्या नेगी की कड़ी मेहनत व समाज के प्रति उनके समर्पण का ही नतीजा है कि युथ रॉक फाउंडेशन संस्था ने अब तक हजारों भ्रमित हुए युवाओं को जीने की सही राह दिखलाई है । डॉ. दिव्या नेगी घई लगभग 10 वर्षों तक अध्यापन क्षेत्र में सक्रिय रहीं। उन्होंने बताया कि अपने शिक्षण कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई बार महसूस किया कि आज का युवा वर्ग आधुनिकता के नाम पर अपनी राह और सही दिशा से भटक रहा है। रिश्ते हों या करियर, सामाजिक मूल्य हों या संस्कार, वो हर जगह पिछड़ रहा है। ऐसे में उसे सिर्फ किताबी ज्ञान से ही सही दिशा देना कठिन है। इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने 2014 में 'यूथ रॉक्स फाउंडेशन' की स्थापना की। डॉ. दिव्या ने बताया कि फाउंडेशन के तहत वे युवाओं के लिए करियर मैनेजमेंट, मनी मैनेजमेंट, टाइम मैनेजमेंट, हेल्थ मैनेजमेंट, रिलेशनशिप मैनेजमेंट और पर्सनल मैनेजमेंट जैसे विषयों पर सेमिनार और वर्कशॉप्स का आयोजन करती हैं। उन्होंने इन विषयों पर आधारित एक पुस्तक 'स्टॉप फूलिंग योरसेल्फ' भी लिखी है जो युवाओं में काफी लोकप्रिय हुई है। डॉ. दिव्या पिछले एक वर्ष से दून से लेकर दिल्ली तक पूरी तरह एक्टिव हैं। वे तमाम स्कूलों में जहां बच्चों के लिए मोटिवेशनल सेशन्स ले रही हैं, वहीं पेरेंट्स के लिए गुड पेरेंटिंग पर सेमिनार भी आयोजित कर रही हैं। हाल में उन्होंने दिल्ली के करीब एक दर्जन स्कूलो में मोटिवेशनल सेशन्स लिए।