अन्ना को ज़िंदगी में किन-किन चीजों से प्रेरणा मिली, किन-किन लोगों ने उन्हें प्रभावित किया, ये सारी घटनाएं फ़िल्म में दर्शाई गई हैं।
बाबूराव हजारे जब छोटे थे तो उनकी एक अलग विचारधारा थी और जिंदगी को लेकर उनके बहुत सारे प्रश्न थे। बाबूराव को अपनी जिंदगी का मकसद उनकी जिंदगी में घट रही घटनाओं से मिलता है।
शुरुआत में बाबूराव हजारे इंडियन आर्मी में थे। इसके बाद उन्होंने लोगों के हित के लिए काम करना शुरू किया। वे लोगों को अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए प्रेरित करते थे। उन्होंने अपनी बात मनवाने के लिए अनशन और श्रमदान का सहारा लिया। बाद में कैसे वो अन्ना हजारे के रूप में उभरे और लोकपाल बिल के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान में कैसे उन्होंने सरकार से लड़ाई लड़ी, ये सारी चीजें फिल्म में बखूबी दर्शाने की कोशिश की गई है।
पहली बार फिल्म निर्देशन कर रहे शशांक मराठी फिल्मों के जाने-माने अभिनेता हैं। उन्होंने फिल्म में अन्ना हजारे का किरदार निभाने के साथ ही फिल्म के डायलॉग और स्क्रिप्ट भी खुद लिखी है।