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सर्वोच्य न्यायाल का बड़ा फैसला दिल्ली का बाँस केजरीवाल है

A major decision of the Supreme Court is Delhi's Boss Kejriwal. share via Whatsapp

A major decision of the Supreme Court is Delhi's Boss Kejriwal.

 एलजी कैबिनेट की सलाह पर काम करेंः चीफ जस्टिस

नेशनल डेस्कः
सर्वोच्य न्यायालय  ने आज दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच पैदा हुए मतभेदों को लेकर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि संसद द्वारा बनाया गया कानून सबके लिए है। और यह कानून सबसे ऊपर है। कहा कि संविधान का पालन करना  सबकी ड्यूटी है। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के प्रशासक उपराज्यपाल हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि एलजी कैबिनेट की सलाह पर काम करें। दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच 2015 से ही चली आ रही अधिकारों की जंग को लेकर आज देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले से उलट सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उपराज्यपाल दिल्ली में फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं, एलजी को कैबिनेट की सलाह के अनुसार ही काम करना होगा। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना संभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बाते-

------- चीफ जस्टिस ने क्या कहा-------
-लोकतांत्रिक मूल्य सर्वोच्च हैं
-शक्ति एक जगह केंद्रित नहीं हो सकती
-सरकार जनता के लिए उपलब्ध हो
-भारत में संसदीय प्रणाली है
-शक्तियों में समन्वय होना चाहिए
- केंद्र और राज्य मिलकर काम करें
-संघीय ढांचे में राज्य को स्वतंत्रता है
-जनमत का महत्व है तकनीकी पहलुओं में उलझाया नहीं जा सकता
-संसद का कानून सबसे ऊपर
-एलजी हैं दिल्ली के प्रशासक
-मतभेद हों तो राष्ट्रपति के पास जाएं
-कैबिनेट की सलाह से करें काम
-हर फैसले में LG की सहमति अनिवार्य नहीं है (किन फैसलों में यह स्पष्ट होना बाकी)
-शक्ति एक जगह केंद्रित नहीं हो सकती, अराजकता के लिए जगह नहीं
-दिल्ली सरकार के काम में बाधा न डालें एलजी
-हर मामले में बाधा न डालें एलजी
-एलजी सारे फैसलों को मैकेनिकल तरीके से राष्ट्रपति को नहीं भेजेंगे
-एलजी पहले खुद उस पर अपनी बुद्धिमत्ता का प्रयोग करेंगे और चुने हुए सदस्यों को अहमियत देंगे

दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल के बीच विवाद जगजाहिर है। हर मामले में दिल्ली सरकार उपराज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार पर हमला करती रही है।
हाईकोर्ट ने अगस्त 2016 में दिए अपने फैसले में स्पष्ट कर दिया था कि दिल्ली देश की राजधानी है और केंद्र शासित होने के चलते उपराज्यपाल ही दिल्ली के बॉस हैं। उनकी अनुमति मामलों में जरूरी है। इस फैसले के बाद अधिकांश मामले में दिल्ली सरकार के पर कट गए और उपराज्यपाल व दिल्ली सरकार के बीच विवाद बढ़ता गया। दिल्ली सरकार ने फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी। सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने विस्तृत सुनवाई के बाद 6 दिसंबर 2017 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब करीब सात माह बाद आज फैसला आ गया है।

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Source: INDIA NEWS CENTRE

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