The information contained in the RBI data, there is no claimant of 11,300 crore lying in banks,
बिजनेस डेस्कः बैंकों को लेकर लगातार नई जानकारी सामने आ रही है। एक ओर आर.बी.आई. ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बैंकों में ग्राहकों के धन में से सिर्फ एक लाख रुपया ही सुरक्षित है। वहीं, दूसरी खबर यह सामने आई है कि देश के 64 बैंकों के 3 करोड़ से ज्यादा खातों में जमा 11,300 करोड़ रुपयों का कोई दावेदार ही नहीं है। हाल ही में रिजर्व बैंक के डाटा के अनुसार यह बात सामने आई है।आरबीआई के द्वारा जारी किए गए डाटा के अनुसार देश के 64 बैंकों में करीब 11 हजार 300 करोड़ रुपये जमा हैं जिन पर दावा करने वाला कोई भी नहीं है। बिन दावेदारी वाले खातों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया सबसे आगे हैं। एसबीआई में 1262 करोड़ रुपये, पीएनबी 1250 करोड़ रुपये निष्क्रिय खातों में पड़े हैं। इसके अलावा सरकारी बैंकों में 7,040 करोड़ रुपये बिना दावेदारी के हैं। आरबीआई के डाटा के मुताबिक, 7 प्राइवेट बैंकों ऐक्सिस, आईसीआईसीआई, एचडीएफसी, कोटक महिंद्रा, डीसीबी, इंडसइंड, और यस बैंक के पास ऐसी करीब 824 करोड़ रुपये की राशि जमा है । वहीं 12 अन्य प्राइवेट बैंकों के पास 592 करोड़ रुपये जमा हैं। इस तरह से सभी प्राइवेट बैंकों में 1,416 करोड़ रुपयों का कोई दावेदार नहीं है। पूर्व आरबीआई चेयर प्रोफसर चरण सिंह के मुताबिक ज्यादातर राशि ऐसे अकाउंट होल्डर्स की है जिनका निधन हो चुका है या फिर उनके पास कई अकाउंट हैं और अपने खाते के बारे में अवगत नहीं है। उन्होंने बताया कि बैंकिग रेग्युलेशन एक्ट के अनुसार हर कैलेंडर इयर के खत्म होने के 30 दिनों के भीतर आरबीआई को ऐसे खातों के बारे में जानकारी देनी होती हैं जिनका इस्तेमाल पिछले कई सालों से नहीं किया जा रहा है। बिन दावेदारी वाले खातों की राशि को डिपॉजिटर ऐजुकेशन ऐंज अवेयरनेस फंड में डाल दिया जाता है। हालांकि खाताधारक अपनी राशि पर 10 साल बाद भी दावा कर सकता है। बैंक इस रकम को वापस करने के लिए बाध्य है। आर.बी.आई. को देनी होती है इन बैंकों की जानकारी आई.आई.एम. बेंगलुरु में फॉर्मर आर.बी.आई. चेयर प्रफेसर चरण सिंह ने कहा, 'इन जमाओं में ज्यादातर रकम ऐसे अकाउंट होल्डर्स की है जिनकी मौत हो चुकी है या जिनके पास कई बैंकों में अकाउंट हैं। ऐसी संभावना नहीं है कि इसमें से ज्यादातर या कुछ रकम बेनामी हो।' बैंकिंग रेग्युलेशन ऐक्ट 1949 के सेक्शन 26 के मुताबिक हर कैलेंडर इयर के समाप्त होने के 30 दिनों के भीतर भारत के सभी बैंकों अपने ऐसे अकाउंट्स की जानकारी आर.बी.आई. को देनी होती है जिन्हें 10 साल से इस्तेमाल नहीं किया गया है। हालांकि बैंकिंग रेग्युलेशन ऐक्ट 1949 के सेक्शन 26ए कहता है कि 10 साल के बाद भी रकम जमा करने वाले व्यक्ति इस रकम पर दावा कर सकते हैं और बैंकिंग कंपनी इस रकम को वापस करने के लिए बाध्य है। बैंकिंग लॉ (संशोधित) ऐक्ट, 2012 के नियम मुताबिक बनाए गए डिपॉजिटर ऐजुकेशन ऐंज अवेयरनेस फंड में इन निष्क्रिय खातों की रकम को जमा कर दिया जाता है।