Loan Restructuring: Retail customers benefit the scheme the most, companies reduce their share
न्यूज डेस्क, चंडीगढ़ः कोरोना वायरस महामारी के चलते ना सिर्फ भारत, बल्कि पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए सभी जरूरी कदम उठाए हैं। नकदी संकट से जूझ रहे ग्राहकों की आवश्यकता अनुसार आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने 2020 में पहले लोन मोरेटोरियम और फिर लोन रिस्ट्रक्चरिंग का एलान किया। लोन रिस्ट्रक्चरिंग योजना का सबसे ज्यादा फायदा रिटेल ग्राहकों ने उठाया है। बैं
लोन रिस्ट्रक्चरिंग स्कीम में रहा रिटेल ग्राहकों का दबदबा
भारतीय बैंकों ने वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही के नतीजों की घोषणा की, जिससे पता चलता है कि पिछले साल लोन रिस्ट्रक्चरिंग स्कीम में रिटेल ग्राहकों का दबदबा रहा। वहीं बात अगर कंपनियों की करें, तो यह सामने आया कि बहुत थोड़ी कंपनियों ने ही इसका लाभ लिया है।
इन बैंकों में ज्यादा हिस्सेदारी रिटेल लोन की
निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक, एचडीएफसी के कुल रिस्ट्रक्चरिंग में 3.36 लाख खाते शामिल थे। इनका मूल्य 6,508.37 करोड़ रुपये रहा। इनमें से 2.97 लाख खाते रिटेल लोन (मूल्य- 5456 करोड़ रुपए) के थे। एक्सिस बैंक की 844.6 करोड़ की रिस्ट्रक्चरिंग में रिटेल लोन की हिस्सेदारी 503.71 करोड़ रुपये रही। कोटक महिंद्रा बैंक ने 121.5 करोड़ रुपए के लोन रिस्ट्रक्चर किए, जिसमें रिटेल लोन की हिस्सेदारी 82.38 करोड़ की रही।
इन बैंकों में कॉर्पोरेट लोन रिस्ट्रक्चर की हिस्सेदारी अधिक
आईसीआईसीआई बैंक ने कुल 1624 खातों के लोन रिस्ट्रक्चर किए, जिसमें 1596 खाते रिटेल के थे। सिर्फ 30 खाते ही कॉर्पोरेट थे। लेकिन रकम की बात करें, तो रिटेल लोन की रकम 643.19 करोड़ ही थी, वहीं कॉर्पोरेट लोन की रकम 1323.28 करोड़ रही। यस बैंक में 1112 करोड़ रुपए का लोन रीस्ट्रक्चर किया गया। इसमें से 352 खातों के साथ कॉर्पोरेट लोन की रकम 940.11 करोड़ रही। इनके अतिरिक्त आईडीबीआई बैंक में भी कॉर्पोरेट लोन रिस्ट्रक्चर की हिस्सेदारी रिटेल से ज्यादा रही।
क्या है रिस्ट्रक्चरिंग स्कीम?
मालूम हो कि 2002 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया वन टाइम लोन रिस्ट्रक्चरिंग स्कीम लेकर आया था। इसके तहत बैंकों ने अपने ग्रोहकों के लोन का रीपेमेंट शेड्यूल बदला। लोन मोरेटोरियम के तहत किस्तें न चुकाने की छूट दी गई थी। इस दौरान ब्याज आपके मूल धन में जोड़ा गया। वहीं रिस्ट्रक्चरिंग स्कीम में बैंकों को ज्यादा अधिकार मिले। बैंकों ने तय कर किया कि ईएमआई को घटाना है, लोन की अवधि बढ़ानी है, सिर्फ ब्याज वसूलना है, या ब्याज दर एड्जस्ट करनी है।