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Inflation: लगातार ब्याज दरें बढ़ाने के बाद भी ज्यादातर देशों में 8 फीसदी से अधिक है खुदरा महंगाई

Inflation: Even after increasing interest rates continuously, retail inflation is more than 8 percent in most countries share via Whatsapp

Inflation: Even after increasing interest rates continuously, retail inflation is more than 8 percent in most countries


न्यूज डेस्क, नई दिल्ली:  दुनियाभर के केंद्रीय बैंक पांच महीने से लगातार ब्याज दरों को बढ़ा रहे हैं। बावजूद इसके महंगाई उच्च स्तर पर बनी हुई है। दुनिया के ज्यादातर देशों में महंगाई 8 फीसदी से ऊपर बनी हुई है। अमेरिका में यह अगस्त में 8.3% रही। यूरो क्षेत्र में 9.1 फीसदी, यूके में 9.9% और ब्रिक्स देशों में भी 8% से ज्यादा रही है।

विशेषज्ञों ने कहा, विकसित देशों से लेकर विकासशील देश उच्च महंगाई से लड़ने के लिए ब्याज दरों को बढ़ा रहे हैं। अमेरिका सहित चीन, जापान, भारत और अन्य देशों ने एक से 2 फीसदी तक दरों को बढ़ाया है। इस महीने भी एक दर्जन देश दरें बढ़ाने की योजना बना रहे हैं।

0.50% बढ़ सकती है रेपो दर

महंगाई को देखते हुए आरबीआई के पास नीतिगत दर में अगले हफ्ते 0.50% की एक और वृद्धि करने के सिवाय कोई रास्ता नहीं रह गया है। दिसंबर तक रेपो दर को 6.25% तक ले जाया जा सकता है। एसबीआई के समूह मुख्य अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष ने कहा, मौजूदा विदेशी झटकों को देखते हुए रेपो दर में आधा फीसदी की वृद्धि होना तय है। दिसंबर में भी 0.35% तक वृद्धि हो सकती है।

दक्षिण अफ्रीका में 7.6% महंगाई

दक्षिण अफ्रीका में महंगाई की दर 7.6 फीसदी है जबकि फिलीपीन में 6.3 फीसदी, फ्रांस में 5.8 फीसदी, दक्षिण कोरिया में 5.7  और इंडोनेशिया में यह 4.7 फीसदी के स्तर पर है। सबसे बुरा हाल अमेरिका का है। यहां छात्रों का कर्ज 1.7 लाख करोड़ डॉलर बढ़ गया है और अमेरिकी प्रशासन मध्य वर्ग के कर्ज का भार कम करने के लिए एक पैकेज लाने की तैयारी में है। जबकि चीन में घर खरीदार प्रोजेक्ट का लगातार बहिष्कार कर रहे हैं। यहां के 119 शहरों में 342 प्रोजेक्ट बहिष्कार के निशाने पर हैं। इस साल अगस्त में 100 शहरों में 320 प्रोेजेक्ट का बहिष्कार किया गया था।

विदेशी मुद्रा भंडार 2 अक्तूबर, 2020 के निचले स्तर पर, लगातार सातवें हफ्ते आई कमी 

देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार सातवें हफ्ते गिरा है। 16 सितंबर को समाप्त हफ्ते में यह 5.22 अरब डॉलर घटकर 545.65 अरब डॉलर पर आ गया है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, 2 अक्तूबर, 2020 के बाद यह सबसे कम भंडार है। इस बार इसकी विदेशी मुद्रा में 4.70 अरब डॉलर की जबकि सोने के भंडार में 45.8 करोड़ डॉलर की कमी दर्ज की गई और यह 38.19 अरब डॉलर रहा। विश्लेषकों का मानना है कि इस साल भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में और कमी आ सकती है, क्योंकि चालू खाता घाटा तेजी से बढ़ रहा है। साथ ही रुपये की गिरावट को रोकने के लिए आरबीआई लगातार डॉलर छोड़ रहा है। 

510 अरब डॉलर तक जा सकता है भंडार

आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के अनुमान के मुताबिक, अगर वित्त वर्ष 2023 में चालू खाता घाटा 4 फीसदी से ज्यादा होता है तो भारत का विदेशी मुद्रा भंडार गिरकर 510 अरब डॉलर तक जा सकता है। हालांकि, यह मई, 2013 में बेचे गए डॉलर की तुलना में फिर भी ज्यादा रहेगा। उस समय विदेशी भंडार 300 अरब डॉलर था। 

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Source: INDIA NEWS CENTRE

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