नेशनल न्यूजः भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ विपक्ष महाभियोग प्रस्ताव लाया है। कांग्रेस की अगुवाई में 7 विपक्षी दलों ने राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू को ये प्रस्ताव सौंपा है। कांग्रेस और कुछ दल भले ही महाभियोग ला रहे हों लेकिन कानून के जानकार इस फैसले से कतई सहमत नहीं है और इसे एक गलत परंपरा बता रहे हैं। कांग्रेस के फैसले पर सरकार की ओर से भी कड़ी प्रतिक्रिया आई है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फेसबुक पर लिखे एक लेख में कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि वह महाभियोग को हथियार बनाकर जजों को डराने की कोशिश कर रही है। उन्होंने महाभियोग को एक गंभीर मामला बताते हुए लिखा 'सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग तभी लाया जा सकता है जब उनके ऊपर 'अक्षमता' या 'सिद्ध दुर्व्यवहार' का आरोप हो। कांग्रेस पार्टी और उसके मित्रों ने महाभियोग को राजनितिक हथियार बनाना शुरू कर दिया है। 'महाभियोग के खिलाफ मेरा मत साफ है। जस्टिस लोया केस में कांग्रेस अपने झूठे मकसद में नाकाम रही और यह एक बदला लेने का प्रयास है। यह एक न्यायाधीश को धमकाने और अन्य न्यायाधीशों को यह संदेश भेजने की कोशिश है कि यदि आप हमसे सहमत नहीं हैं, तो पचास सांसद बदला लेने के लिए पर्याप्त हैं।'सरकार और बीजेपी दोनों की ओर से इस मामले पर हमला बोला गया और साफ कहा गया कि ये न्यायापालिका पर दबाव बनाने के लिए किया जा रहा है। और राजनीति को न्यायपालिका से उलझना नहीं चाहिए। वैसे इस प्रस्ताव को लेकर विपक्ष खुद एकजुट नहीं दिख रहा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी और लालू प्रसाद यादव की आरजेडी ने इस प्रस्ताव से फिलहाल खुद को दूर रखा है। कांग्रेस में भी एक मत नहीं दिख रहा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने पार्टी की इस मुहिम से दूरी बना ली है। उन्होंने कहा कि मैं सीजेआई के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर कांग्रेस पार्टी की चर्चा में शामिल नहीं हूं। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का हस्ताक्षर करने वालों की सूची में नाम न होना नई कहानी बयां कर रहा है । वैसे मौजूदा परिस्थितियों में बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि क्या विपक्ष द्वारा पेश किया गया यह प्रस्ताव संसद के दोनों सदनों में पास हो पाएगा? राज्यसभा में कुल 245 सांसद हैं. इस सदन में महाभियोग प्रस्ताव पास करने के लिए दो तिहाई बहुमत यानी 164 सांसदों के वोट की जरूरत होगी. राज्यसभा में सत्ताधारी एनडीए के 86 सांसद हैं। इनमें यानी इस सदन में कांग्रेस समर्थित इस प्रस्ताव के पास होने की संभावना नहीं है। लोकसभा में कुल सांसदों की संख्या 545 है. दो तिहाई बहुमत के लिए 364 सांसदों के वोटों की जरूरत पड़ेगी।
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INDIA NEWS CENTRE