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भैंगापन नहीं रहेगा अभिशापः पिम्स ने की अनूठी पहल- बच्चों की फ्री सर्जरी

Pims's unique initiative - Free surgery of children share via Whatsapp

Pims's unique initiative - Free surgery of children

इंडिया न्यूज सेंटर,जालंधरः
पंजाब इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल साइंसिस (पिम्स) का केवल मरीजों की सेवा करना ही मात्र उद्देश्य रहा है। इसी उद्देश्य को आगे बढ़ाते हुए पिम्स ने फोर्टिस फाउंडेशन के सहयोग से आर्थिक रूप से कमकाोर  स्कूली बच्चों के भैंगेपन (स्क्विंट) के अपरेशन कर उन्हें इस बिमारी से निजात दिलाई। इलाज के बाद ठीक होने पर इन मरीजों के लिए पिम्स में एक समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें पिम्स के डाक्टरों ने मरीजों और उनके साथ आए लोगों को इन बिमारियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। भेंगेपन के बारे में जानकारी देते हुए आंखों के विभाग के डा. सीमा बंधु और डा. तानिया मोडगिल ने बताया कि भेंगापन को आंखों का तिरछापन भी कहा जाता है। इस बिमारी के बारे में उन्होंने बताया कि इस बिमारी में एक आंख का दूसरी आंख से तालमेल नहीं रहता। इस बिमारी में दोनों आखों के परदे पर एक ही समय में एक चीज का अलग-अलग चित्र बन जाता है। डाक्टरों ने इसके इलाज के बारे में बताया कि पहले तो मरीज की आंख को अच्छी तरह चैक किया जाता है। चश्में और आंखों की कसरत से मरीज का इलाज किया जाता है। अगर फिर भी मरीज को आराम न मिले  तो जरूरत पडऩे पर मरीज का अपरेशन कर भेंगापन को ठीक किया जा सकता है। अपरेशन के बाद मरीज की आंखों की मांसपेशियों को इस तरह बना दिया जाता है, जिससे उनकी आंखों में तालमेल बन सके।डा. यशी बासंल और डा. बरिंदर कौर ने बताया कि तिरछी आंखें, दोहरी दृष्टि, आंखें जो एक दिशा, एक रेेखा में होती, आंखें एक साथ नहीं घूमती आदि भेंगापन के मुख्य लक्ष्ण है। उन्होंने बताया कि यह बिमारी ज्यादातर जन्म से पांच साल तक की उम्र के बीच हो सकती है। इसके प्रति पारिवारिक सदस्यों को जागरूक होने की जरूरत है। अगर बच्चा आंखों पर ज्यादा जोर डाल कर काम कर रहा है तो उसे तुरंत माहिर डाक्टर के पास ले जाएं।पिम्स की डायरेक्टर प्रिंसीपल डा. कुलबीर कौर ने इस अवसर पर बताया कि यह बिमारी बच्चे के मानसिक और सामाजिक विकास को प्रभावित करती है। भेंगापन वाले बच्चे अकसर उपहास का कारण बन जाते हैं। इसी के मद्देनजर पिम्स और फोर्टिस फाउंडेशन ने अनुठी पहल की है। जोकि काफी कामयाब भी रही।पिम्स के रेजिडेंट डायरेक्टर अमित सिंह ने कहा कि इस पहल को पूरा करने में काफी खुशी महसूस हो रही है कि जो बच्चे भेंगेपन की सर्जरी करवाने में असमर्थ हैं, उनकी पिम्स ने मुफ्त में सर्जिरयां की हैं। उन्होंने आगे बताया कि पिम्स की इस पहल को आगे ले जाने का  लक्ष्य है कि आर्थिक रूप से कमजोर लडक़े, लड़कियों की भी इस प्रकार की सर्जिरयां की जाएं। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस पहल को आगे ले जाने के लिए पिम्स के स्टाफ और डाक्टरों का  सहयोग इसी प्रकार मिलता रहेगा।इस अवसर पर बच्चों के माता-पिता ने भी इस बिमारी के बारे में अपने विचार रखे।अंत में सभी बच्चों को सम्मानित किया गया।पिम्स के, वाइस प्रिंसीपल डा.  राजीव अरोड़ा, मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा. कुलबीर शर्मा, फोर्टिस फाउंडेशन की कोआर्डिनेटर अंजलि खोसला के  अलावा पिम्स के डाक्टर और अन्य स्टाफ इस अवसर पर उपस्थित थ

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