सैन्य कार्यवाही और तकनीक के समन्वय पर दिया जोर
इडिया न्यूज सेंटर,चंडीगढ: स्थानीय सरकारी म्युजिय़म और आर्ट गैलरी के आडीटोरियम में आज बड़ी संख्या में जंगी योद्धाओं और पूर्व फ़ौजी मिल्ट्री लिटरेचर फेस्टिवल संबंधी करवाए जा रहे दो -दिवसीय मिल्ट्री पारले (सैनिक - विचार चर्चा) के लिए एकत्रित हुए। उद्घाटनी भाषण दौरान, लैफ्टिनैंट जनरल (रिटा.) भुपिन्दर सिंह, पूर्व गवर्नर अंडमान निकोबार और पांडुचेरी ने मिल्ट्री लिटरेचर फेस्टिवल को पंजाब सरकार का एक शानदार प्रयास करार देते कहा कि इसको हर वर्ष करवाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस फेस्टिवल का मुख्य लक्ष्य फ़ौज के सभ्याचार और स्वभाव संबंधीे जागरूकता लाना है। उन्होंने कहा कि अपने फ़ौजी जीवन दौरान मैंने लोगों में फ़ौज प्रति अथाह सत्कार महसूस किया और देखा है जिसका सबसे बड़ा सबूत 1965 के जंग में किसानों द्वारा फ़ौज की की गई मदद है। उन्होंने कहा कि फ़ौज न केवल अपनी प्राथमिक ड्यूटी ही निभाती है बल्कि कि, जब भी समाज को ज़रूरत पड़ती है तो भी मदद के लिए सब से पहले फ़ौज आती है। सेवामुक्त लैफ्टिनैंट जनरल वी. के. धीर ने इस मौके पर कहा कि बदलते समय के साथ फ़ौज में ही तकनीकी बदलाव हो रहे हैं, परंतु अभी भी ओैर बेहतर तकनीक की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि अति -आधुनिक उपकरणों को चला रहे व्यक्ति को नवीन तकनीकों से अवगत होने की ज़रूरत है। उन्होंनें कहा कि मौजूदा समय देश में सब से बड़ी ज़रूरत मिल्ट्री इंडस्ट्रियल कंपलैक्स की स्थापना की है जिससे विदेशी देशों से हथियारों की आयात को घटाया जा सके और हथियारों के मामलो में फ़ौज के पास ओैर ज़्यादा संसाधन हो। इस मौके पर बोलते ब्रिगेडियर आर. जे. एस. ढिल्लों ने ऑपरेशन कैक्टस संबंधी जानकारी देते बताया कि कैसे भारतीय फ़ौज ने मालदीव का तख्ता पलटने से बचाया और इस ऑपरेशन ने भारतीय फ़ौज को बहुत कम समय में कोई अभियान शुरू करने का आत्म -विश्वास दिया। उन्होंने इस ऑपरेशन को फ़ौजी और राजनैतिक लीडरशिप का उत्तम तालमेल करार दिया। कर्नल जे. एस. बिंद्रा ने 1965 की जंग से पहले मेजर रणजीत सिंह दयाल के नेतृत्व में 1 पैरा द्वारा हाजीपीर दर्रे पर कब्ज़ा की कार्यवाही और रौशनी डाली। कारगिल के युद्ध से मिले सबक पर रौशनी डालते हुये ब्रिगेडियर एम. पी. एस. बाजवा ने ख़ुफिय़ा तंत्र को अधिक मज़बूत करने साथ-साथ मौजूदा साधनों का प्रयोग को सही तरीके से करने पर ज़ोर दिया। ब्रिगेडियर किरण कृष्ण ने अपने भाषण दौरान फ़ौजी जीवन के संग चलने वाले हंसी मज़ाक पर रौशनी डालते कई घटनाओं का जि़क्र किया कि कैसे वह और उनके साथी एक दूसरे के साथ हंसी मज़ाक करते थे। 1971 की जंग दौरान भारतीय हवाई फ़ौज की भूमिका संबंधी बोलते सकुऐडरन नेता डी. पी. एस. गिल ने इस जंग दौरान बमबारी कार्यवाहियों बारे रौशनी डाली और बताया कि इस दौरान बमवर्षक जहाजों के पायलटोंं को किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा। कर्नल एम एस दहिया एससी ने 1984 -85 दौरान हुए सियाचिन आपरेशन संबंधीे जानकारी देते बताया कि कैसे बेहद विपरीत मौसम का सामना करते इस आपरेशन को सम्पूर्ण किया ं। इस मौके पर पंजाब के मुख्यमंत्री के सीनियर सलाहकार लैफ्टिनैंट जनरल (सेवामुक्त) टी. ऐस. शेरगिल्ल भी मौजूद थे।
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