Pakistan's new PM will not give more priority to India in compared to China
वर्ल्ड डेस्कः पाकिस्तान के आम चुनाव अब समाप्ती की ओर हैं। चुनावों में पूर्व क्रिकेटर और अब राजनेता इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ सत्ता की ओर से बढ़ दिखाई दे रही है। कुर्सी तक पहुंचने की राह साफ होते ही इमरान ने मुल्क की आवाम को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने अपनी सरकार की नीतियों को लोगों के साथ बांटा। चुनाव नतीजों के बाद अपने पहले भाषण में इमरान ने कहा कि 'उनके दिलो-दिमाग में जिस पाकिस्तान की कल्पना है अब वो शक्ल लेगी।' उन्होंने कहा कि पिछले 22 वर्षों से वो एक ऐसे पाकिस्तान का सपना बुन रहे हैं, जिसकी साख और तूती पूरी दुनिया में बोले। 36 मिनट लंबे भाषण में खान का पूरा जोर चीन, बलूचिस्तान और मध्य-पूर्व देशों पर रहा। इमरान खान ने कहा, 'हमें गरीबी से लड़ना है, यह सबसे बड़ी चुनौती है। हमारे सामने चीन सबसे बड़ा उदाहरण है जिसने 70 साल में अपने लोगों को गरीबी से बाहर निकाला।' खान ने पिछली सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि पाकिस्तान ने इससे पहले कभी इतना कर्ज नहीं लिया है। इससे पहले कभी रुपए का स्तर इतना नीचे नहीं गिरा है। इमरान ने कहा कि पाकिस्तान भारत के साथ संबंध सुधारने के लिए तैयार है। अगर भारत सरकार एक कदम आगे बढ़ता है तो हम दो कदम आगे बढ़ेंगे। पैगम्बर के समय के शासन तंत्र की तरफ संकेत करते हुए उन्होंने कहा कि वह पाकिस्तान में मदीना जैसे कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के तौर पर सबसे पहली प्राथमिकता शासन प्रणाली को ठीक करना है। सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता व्यापार की सरलता को सही करना है। उन्होंने यह भी कहा कि अप्रवासी पाकिस्तानियों को पाकिस्तान में आने की दावत देंगे। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में भ्रष्टाचार की वजह से कोई निवेश नहीं करता है। बेरोजगारी की सबसे बड़ी वजह यह है। बलूचिस्तान पर भारतीय पक्ष को कमजोर करने के इरादे से इमरान ने कहा कि वो उन लोगों के शुक्रगुजार हैं, जिन्होंने फिदायीन बम हमले के बाद भी मतदान में हिस्सा लिया। उन्होंने इस आत्मघाती हमले में मारे गए 31 लोगों के प्रति अपनी श्रद्धांजलि भी अर्पित की। लेकिन अब सवाल यह है कि क्या इमरान खान वाकई पाकिस्तान की किस्मत बदल सकेंगे। क्या वो अपने मुल्क का नाम आतंकी देशों की सूची से बाहर ला पाएंगे। ऐसा हो पाएगा या नहीं, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन तथाकथित शांतिपूर्ण चुनावों के लिए उन्होंने जिस तरह से सुरक्षा बलों और सेना को शुक्रिया कहा, उससे यह तो तय है कि आगे भी पाकिस्तान की लगाम सेना के पास ही रहेगी। इमरान ने इस बार के आम चुनावों को पाकिस्तानी इतिहास का अब तक का सबसे ज्यादा निष्पक्ष चुनाव भी कहा। इसका मतलब है कि वो सेना के इशारों पर ही काम करेंगे। हालांकि विपक्षी दलों को उन्होंने यह विश्वास दिलाया कि, यदि चुनावों को लेकर उन्हें कोई शिकायत है तो वो इसकी जांच के लिए भी तैयार हैं।