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पंजाब के मुख्य मंत्री द्वारा केंद्रीय मंत्री पासवान के साथ बैठक

Chief Minister of Punjab meeting with Union minister Paswan share via Whatsapp

31000 करोड़ रुपए के अनाज खरीद कर्जे का नये सिरे से जायज़ा लेने की मांग

इस्तेमाल बोरियों पर उच्च प्रयोग चार्ज के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह की विनती पर केंद्रीय मंत्री द्वारा सहमति

राज्य खरीफ की फ़सल बिना अड़चन खरीद के लिए तैयार -कैप्टन अमरिंदर सिंह

इंडिया न्यूज सेंटर,नई दिल्लीः
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को उपभोक्ता मामलों, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण के केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के साथ मीटिंग करके न सहनयोग्य 31000 करोड़ रुपए के कर्जे के बोझ के निपटारे की केंद्र सरकार से मांग की है। और उन्होने नए सिरे से जायजा लेने के लिए नई टीम का गठन करने की मांग भी की है। पंजाब में आगामी खरीफ के  सीज़न के दौरान एक बार इस्तेमाल की गई  बोरियों पर घिसाई की शक्ल में उच्च प्रयोग चार्ज की आज्ञा देने की मुख्यमंत्री द्वारा की गई विनती को स्वीकृत करते हुए केंद्रीय मंत्री ने इस सुझाव को विचारने पर सहमति व्यक्त की । केंद्रीय मंत्री ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को भरोसा दिलाया कि इस संबंधी आवश्यक आदेश  इसी सप्ताह जारी कर दिए जाएंगे  कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस मीटिंग को प्रभावशाली बताया और पासवान ने कहा कि दोनों तरफ के सचिव इस विचार - विमर्श को आगे विचारेंगे। केंद्रीय मंत्री ने मीटिंग के बाद पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए यह भी कहा कि सभी मुद्दे द्विपक्षीय बातचीत के द्वारा हल किये जा रहे हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा दिए गए सुझाव के संबंध में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 31000 करोड़ रुपए के कर्जे का मामला वित्त मंत्रालय से संबंधित है और उनका मंत्रालय सिर्फ वित्त मंत्रालय को इस मामले संबंधी जायज़ा लेने के लिए उचित सिफारशें ही कर सकता है। पंजाब सरकार के 20,000 करोड़ रुपए के अनाज की खरीद संबंधी बकाए के दावे संबंधी जायज़ा लेने के लिए अप्रैल 2016 में केंद्र द्वारा स्थापित की गई झा कमेटी द्वारा सामने लाए गए नतीजों संबंधी पासवान ने कहा कि इन संबंधी कुछ भ्रम हैं। इस संबंध में मुख्यमंत्री ने इस समूचे मामले को देखने  संबधी एक और कमेटी बनाऐ जाने का सुझाव दिया। केंद्रीय अनाज भंडार के लिए खरीद दौरान सूबे को हुए नुक्सान की पुन: भरपायी करने की केंद्रीय मंत्री से मांग करते हुए कैप्टन ने कहा कि उनकी सरकार खरीफ की फ़सल की खरीद के लिए पूरी तरह तैयार होना चाहती है। खरीफ की धान की फ़सल का 18.2 मिलियन टन झाड़ होने की संभावना है। इस वर्ष गेहूं की खरीद को बिना किसी रुकावट और समस्या के संपूर्ण करने की तरह खरीफ की फ़सल की खरीद को भी बिना किसी अड़चन यकीनी बनाने का भी कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भरोसा दिलाया । उन्होंने पत्रकारों को बताया कि इस बार दक्षिणी पंजाब को छोड़ कर सूबे में इस बार अच्छी बारिश हुई है और सूबा सरकार समय पर धान की खरीद को यकीनी बनाने के लिए पूरी तरह तैयारियां कर रही है जिससे किसानों को किसी भी तरह की समस्या पेश न आए। इससे पहले मीटिंग दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि 18,500 करोड़ रुपए के व्याज समेत 31000 करोड़ रुपये का बना कर्ज वास्तव में भारत सरकार द्वारा स्वीकृत अंतरिम /अंतिम लागत और असली लागत बीच दरार का नतीजा है जो कि खरीद के इत्तफ़ाकिया सिद्धांतों के ग़ैर तर्कमयी होने का परिणाम है। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार को औपचारिक पत्र लिखा गया है और केंद्र सरकार द्वारा बार -बार भरोसा देने के बावजूद इस मसले को हल करन के लिए कोई भी प्रगति नहीं की गई।कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि इस दरार के बावजूद सूबे ने लगातार खरीद सरगर्मियाँ जारी रखी हैं ताकि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा को बनाये रखने के साथ-साथ किसानों में पैदा होने वाली बेचैनी को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि अगर गेहूं और धान की खरीद न की जाती तो यह हालत पैदा हो जानी थीं।  कैप्टन अमरिंदर सिंह ने यह बात भी उठाई है कि खरीद मौसम से पहले यह मुद्दे हल करने में असफल रहने की सूरत में सूबा सरकार को 29919.96 करोड़ रुपए (31.03.2017) तक का बड़ी दरार साफ़ मियादी कर्जे में तबदील करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा जिस के नतीजे के तौर पर पंजाब सरकार कर्जे के बड़े बोझ नीचे आ जायेगी और इसकी अगले 20 वर्ष तक 3240 करोड़ रुपए वार्षिक कर्जे की देनदारियां बन जाएंगी।मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री से अपील की कि वह यह यकीनी बनाये कि इस मुद्दे की नये सिरे से जांच की जाये और देश के अनाज सुरक्षा के हितों के मद्देनजऱ सभी द्वारा निष्पक्ष तरीके से यह सारा बोझ अनुपातिक तौर पर सहन किया जाये ताकि यह यकीनी बनाया जा सके कि किसानों में किसी भी तरह की बेचैनी पैदा न हो और सितंबर 2017 का धान की खरीद का सीजन सफल ढंग के साथ शुरू किया जा सके। बोरियों के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने भारत सरकार की नीति में तबदीली की मांग की जिस के अधीन धान की भराई के लिए प्रयोग में लाई जातीं 50 प्रतिशत बोरियां पर बहुत कम प्रयोग चार्ज (जो धान पर 10 रुपए प्रति क्विंटल हैं) का भुगतान घिसाई के रूप में किया जाता है। उन्होंने कहा कि बोरी की लागत के 38 प्रतिशत के हिसाब से यह भुगतान किया जाये (वर्ष 2015 -16 दौरान के.एम.एस के लिए यह लागत 48.14 रुपए प्रति क्विंटल था)। उन्होंने कहा कि पंजाब की प्रांतीय एजेंसियां को खरीफ की फ़सल -2017 दौरान धान की फ़सल की खरीद की स्टोरेज करने के लिए उचित इस्तेमाल की हुई बोरियां खरीदने के लिए 24 रुपए प्रति क्विंटल की दर से इन बोरियों का भुगतान करना पड़ेगा।  कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सुझाव दिया कि खरीफ की फ़सल-2017 दौरान धान की खरीद के लिए पुरानी बोरियों का प्रयोग के लिए सूबा सरकार को छूट दी जाये। मुख्यमंत्री ने कहा कि सूबे की खरीद एजेंसियाँ के पास पिछले सीज़न की 1.68 लाख शेष  बोरियां पड़ीं हैं जो कि इनके पास डी.पी.डी. नीति के अनुसार हैं। उन कहा कि अगर इन शेष बोरियों के लिए घिसाई की आज्ञा न दी गई तो इस से सूबा खरीद एजेंसियों के खाते में 318.53 करोड़ रुपए की दरार पैदा हो जायेगी। उन्होंने कहा कि प्रांतीय खरीद एजेंसियों के पास खरीद के लिए बोरियों का पूरा प्रबंध करने के लिए अभी  भी 1.09 लाख बोरियों की कमी है जिनको जे.सी.आई. से खरीदने के लिए 264 करोड़ रुपए की ज़रूरत है। नई नीति के अनुसार मिल मालिक इनके लिए स्रोत हैं परन्तु 10 रुपए प्रति क्विंटल की दर के साथ कम प्रयोग चार्जिज़ देने करके मिल मालिक इन बोरियों की सप्लाई देने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अगर सूबे की खरीद एजेंसियाँ को नई बोरियां खऱीदनीं पड़ीं तो उन के खातो में 243.56 करोड़ रुपए का अंतर आ जायेगा। केंद्रीय मंत्री ने सूबे की खरीद एजेंसियाँ के लिए उच्च प्रयोग चार्ज देने के लिए सहमति व्यक्त की ताकि इस संबंध में उनको कोई घाटा न पड़े। एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाते हुए मुख्य मंत्री ने पासवान को बताया कि खरीद इत्तफ़ाकिया सिद्धांतों के गैर तर्क संगत होने के कारण सूबे की खरीद एजेंसियों को हर वर्ष 1100 करोड़ रुपए का नुक्सान होता है। भारत सरकार के खाद्य एवं सिविल आपूर्ति मंत्रालय की सलाह के अनुसार इसके साथ सूबा बजट व्यवस्थाओं से  निपटना पड़ता है जो कि पूरी तरह अन्यायपूर्ण  है क्योंकि पंजाब जैसे सूबे में से 100 प्रतिशत खरीद देश के अनाज सुरक्षा के लिए केंद्रीय भंडार के लिए होती है।उन्होंने कहा कि इन स्थितियों के मद्देनजऱ केंद्रीय मंत्रालय को पंजाब के साथ संबंधित लंबित पड़े मुद्दों का पंजाब के पक्ष में विचार करना चाहिए और असल चार्जिज़ के आधार पर सूबे की भरपाई करनी चाहिए।

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India News Centre

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Source: INDIA NEWS CENTRE

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