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नोएडा इमारत हादसे के दोषियों पर दर्ज हो हत्या का मुकदमा

Murder case must be registered on convicts of Noida death case share via Whatsapp

Murder case must be registered on convicts of Noida death case

वरिष्ठ पत्रकार अशफाक़ खाँ

लखनऊ --- 
ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी क्षेत्र में जो 6 मंजिला इमारत गिरी है उसमें अभी भी अनगिनत लोग दबे हुए हैं उनके परिवार के लोग विक्षिप्त अवस्था में वहां विलाप कर रहे हैं लेकिन सरकार दबे हुए सभी लोगों को अभी तक निकालने में नाकामयाब रही है। इस सम्बन्ध में प्रशासन ने कुछ लोगों के खिलाफ एफआईआर लिखकर लीपापोती करने का सिर्फ काम किया है। यह बहुत बड़ा स्कैण्डल है जिसमें ग्रेटर नोएडा अथारिटी के अधिकारी, पुलिस और जिला प्रशासन मिला हुआ है। यह पहली 6 मंजिला इमारत नहीं है जो गैर कानूनी रूप से बनी हुई है। लगभग इसी प्रकार लगभग दस हजार से अधिक फ्लैट शाहबेरी और बिसरख क्षेत्र में बने हुए हैं। शाहबेरी क्षेत्र ग्रेटर नोएडा अथारिटी द्वारा अधिग्रहीत नहीं है। यह गांव हैं इसके बाद भी कैसे चार मंजिला और छः मंजिला इमारतें यहां प्रशासन ने बनने दीं। इन इमारतों के बनने से उनके घरों से पानी निकलने का कोई मार्ग, कोई नाली नहीं है। सरकार ने अभी तक इस सम्बन्ध में किसी भी वरिष्ठ अधिकारी को इंगित नहीं किया है और वरिष्ठ अधिकारी के संज्ञान के इतनी संख्या में गैर कानूनी इमारतें नहीं बन सकती हैं। नोएडा के सांसद एवं भारत सरकार के मंत्री डा0 महेश शर्मा ने घटनास्थल का मुआयना करते हुए यह कहा कि दोषी लोगों को बख्शा नहीं जायेगा। डा0 शर्मा वहां के सांसद हैं जब इतनी संख्या में अवैध कालोनियां बन रही थीं जिनका नक्शा भी नहीं पास है उसको रोकने की व्यवस्था इन्होने क्यों नहीं की। इनका नैतिक कर्तव्य था कि अधिकारियों से मिलकर उनको दिशा निर्देश देते कि ऐसी अवैध बहुमंजिला इमारतें तुरन्त रोकी जायें और बनाने वाले पर कठोर कार्यवाही की जाए। अगर ऐसा होता तो निश्चित रूप से यह दुर्घटना रोकी जा सकती थी। लेकिन वोट के लालच में डा0 शर्मा ने ऐसा नहीं किया और इतने लोगों को काल के गाल में ढकेल दिया। यह क्षेत्र लाल डोरा क्षेत्र में आता है। लाल डोरा गांव की बसी आबादी को कहते हैं और इस क्षेत्र में मकान के अतिरिक्त सहन, खलिहान आदि के लिए जमीन छोड़ी जाती है और साथ ही जब परिवार बड़ा होता है तो उनके रहने हेतु मकान बनाने हेतु छोड़ा जाता है। गावं के उच्चीकरण के लिए बारात घर, पंचायत घर इत्यादि बनाये जा सकते हैं। परन्तु व्यवसायिक भवन और कई मंजिला इमारतें नहीं बनायी जा सकतीं। क्योंकि न तो सीवरेज सिस्टम होता है और न ही पानी निकासी का कोई मार्ग होता है। ऐसी स्थिति में अगर पानी घरों से निकलेगा तो कहीं न कहीं किसी जगह जाकर शीपेज करेगा और जब लगातार पानी शीपेज करता है तो भवन केा बहुत नुकसान होता है जिसका ज्वलन्त उदाहरण यह 6 मंजिला इमारत गिरने का है। सरकार का पूर्ण दायित्व है कि इस प्रकार की अवैध कालोनी को रोके। यह स्थिति खाली नोएडा और ग्रेटर नोएडा में नहीं है पूरे उत्तर प्रदेश में ग्रामीण इलाकों में ग्राम प्रधान के जरिये जिलाधिकारी से अनुमति लेकर मकान बनाने का काम बिल्डरों द्वारा किया जा रहा है। सरकार को इस पर गंभीरतापूर्वक कठोर एक्शन लेना चाहिए तथा ग्रेटर नोएडा के उन अधिकारियों पर जिनकी संलिप्तता पायी गयी है एवं जिला प्रशासन के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया जाए, जिससे भविष्य में अवैध कालेानियों का निर्माण रोका जा सके जिससे कि ऐसी गंभीर घटना न हो सके।          

Murder case must be registered on convicts of Noida death case
Source: INDIA NEWS CENTRE

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