Jammu Terrorists Attacked On Army Camp
इंडिया न्यूज सेंटर,जम्मूः जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों द्वारा किये गये आतंकी हमले में दो जवान शहीद हो गये हैं। आतंकियों की फायरिंग में एक हवलदार की बेटी की भी मौत हो गई है। जबकि तीन जवान समेत कुल चार लोग घायल बताए जा रहे हैं। इसकी पुष्टि विधानसभा में मंत्री ने कर दी है। शहीदों के नाम, प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री अब्दुल रहमान वीरी ने जम्मू कश्मीर विधानसभा को बताया है कि आतंकवादियों के हमले में सूबेदार मगनलाल और सूबेदार मोहम्मद अशरफ शहीद हो गए।
बता दें आज तड़के जम्मू शहर के सुंजवान में स्थित सेना के एक शिविर पर हमला कर दिया, जिसमें सेना के तीन कर्मी और एक सैन्यकर्मी की बेटी घायल हो गये थे। इस हमले के मद्देनजर कैंप में QRT की टीम ने घुसकर आतंकियों की घेराबंदी की थी। विधानसभा से मंत्री द्वारा बताया जा रहा है कि इसमें दो जवान शहीद हो गये हैं। इस ऑपरेशन में पैराकमांडो की मदद ली जा रही है। उधमपुर के साथ-साथ सरसावा से भी पैराकमांडो को एयर लिफ्ट किया गया है।
हमले के बाद का हाल
जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक एसपी वैद्य ने बताया कि आतंकवादी सुंजवान सैन्य शिविर में पीछे की ओर बने आवासीय क्वार्टर की ओर से घुसे। अधिकारियों ने बताया कि कम से कम चार लोग इस दौरान हुई फायरिंग में घायल हुये थे। इनमें तीन सैन्यकर्मी हैं जबकि एक सैन्यकर्मी की बेटी थी। पुलिस महानिरीक्षक एस डी सिंह जम्वाल ने यहां संवाददाताओं को बताया, ‘‘सुबह करीब चार बजकर 55 मिनट पर संतरी ने संदिग्ध घुसपैठ देखी और तभी उसके बंकर पर गोलीबारी की गई। आशंका है कि इसमें 3-4 आतंकवादी एक मकान में छिपकर बैठे हैं। मकान में छिपे आतंकियों की घेराबंदी तो कर ही ली गई थी। इस गोलीबारी में एक शख्स की मौत हुई है। सुरक्षाबलों और पुलिस ने सुंजवान सैन्य शिविर के आसपास के इलाके की भी घेराबंदी कर रखी है। यह शिविर 36 ब्रिगेड के तहत पहली जम्मू कश्मीर लाइट इंफेंट्री के अंतर्गत आता है। सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि हमले के फौरन बाद सेना के विशेष बलों और विशेष अभियान दल की अतिरिक्त इकाइयों को मौके पर भेजा गया और भारी गोलीबारी के बीच पूरे इलाके की घेराबंदी की गई।
अफजल गुरू को नौ फरवरी 2013 को फांसी दी गई थी
अधिकारियों ने ऐहतियाती कदम के रूप से शिविर के आसपास के सभी स्कूलों को आज बंद रखने का आदेश दिया है। जम्मू में हाईअलर्ट घोषित किये जाने के साथ ही आसपास के इलाकों में भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है। खुफिया एजेंसियों ने अफजल गुरू की बरसी पर जैश ए मोहम्मद द्वारा सुरक्षा प्रतिष्ठानों को निशाना बनाये जाने को लेकर पहले ही चेतावनी जारी की थी। अफजल गुरू को नौ फरवरी 2013 को फांसी दी गई थी।
सुरक्षा में बड़ी चूक बनी हमले की वजह
सुरक्षा एजेंसियों ने पहले ही आगाह किया था कि आतंकी अफजल गुरु की पांचवीं बरसी पर आतंकी कोई बड़ा आत्मघाती हमला कर सकते हैं। बावजूद इसके सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए थे।
गौरतलब है कि श्रीनगर में आतंकी नवीद के फरार होने के बाद से ही आतंकी अपने नापाक मंसूबों को घाटी में अंजाम नहीं दे सके और उन्हें जम्मू का रूख करना पड़ा। सूत्रों से 26 जनवरी के पहले ही इस बात के इनपुट मिले थे कि जम्मू के अंदर तीन से चार जैश के आतंकी मौजूद हैं, जो किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में हैं।